एक बार की बात है, दो खरगोश थे. एक का नाम वाईजी था और दूसरे का नाम फूली. वाईजी अपने नाम के अनुसार वाइज यानी बुद्धिमान था और फूली अपने नाम के अनुरूप फूलिश यानी बेवकूफ था.
दोनों में गहरी दोस्ती थी. एक दिन उन्हें गाजर खाने का बड़ा मन किया और वे फ़ौरन इनकी खोज में निकल पड़े.
कुछ दूर चलने पर उन्हें अगल-बगल लगे दो गाजर दिखे. एक गाजर के ऊपर बड़े-बड़े पत्ते लगे थे जबकि दूसरे के पत्ते काफी छोटे थे.
फूली बिना देर किये बड़े पत्तों वाले गाजर के पास दौड़ा और उसे उखाड़ते हुए कहने लगा, “ये वाला मेरा है… ये वाला मेरा है…”
वाईजी उसकी इस हरकत को देख कर मुस्कुराया और बोला, “ठीक है भाई तुम उसे ले लो मैं ये बड़ा वाला ले लेता हूँ?”
और जब उसने गाजर उखाड़ा तो सचमुच वो फूली के गाजर से बड़ा था.
यह देख कर फूली को बड़ा आश्चर्य हुआ, वह बोला, “लेकिन मेरे गाजर के पत्ते तो काफी बड़े थे!”
“तुम गाजर के पत्ते देखकर उसकी साइज़ का अनुमान नहीं लगा सकते!”, वाईजी ने समझाया.
गाजर चट कर दोनों दोस्त आगे बढ़ गए.
थोड़ी दूरी पर उन्हें फिर से दो गाजर दिखाई दिए.
फूली बोला, “जाओ इस बार तुम पहले अपना गाजर चुन लो.”
वाईजी बारी-बारी से दोनों गाजरों के पास गया और सावधानी से उन्हें देखने लगा…. उसने उनके पत्ते छुए और कुछ देर सूंघने के बाद बड़े पत्ते वाला गाजर ही चुन लिया.
“ये क्या तुमने इस बार छोटा गाजर क्यों चुन लिया.” फूली बोला.
“मैंने छोटा नहीं बड़ा गाजर ही चुना है!” वाईजी ने जवाब दिया.
और सचमुच इस बार भी वाईजी का ही गाजर बड़ा था.
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