एक ऊंटनी और उसका बच्चा एक पेड़ के नीचे आराम कर रहे थे.
बच्चे ने पूछा, “माँ, हम ऊँटों का ये कूबड़ क्यों निकला रहता है?”
“बेटा हम लोग रेगिस्तान के जानवर हैं, ऐसी जगहों पर खाना-पानी कम होता है, इसलिए भगवान् ने हमें अधिक से अधिक फैट स्टोर करने के लिए ये कूबड़ दिया है…जब भी हमें खाना या पानी नहीं मिलता हम इसमें मौजूद फैट का इस्तेमाल कर खुद को जिंदा रख सकते हैं.” ऊंटनी ने उत्तर दिया.
बच्चा कुछ देर सोचता रहा फिर बोला, ” अच्छा, हमारे पैर लम्बे और पंजे गोल क्यों हैं?”
“इस तरह का आकार हम ऊँटों को रेत में आराम से लम्बी दूरी तय करने में मदद करता है,इसलिए.” माँ ने समझाया.
बच्चा फिर कुछ देर सोचता रहा और बोला, “अच्छा माँ ये बताओ कि हमारी पलकें इतनी घनी और लम्बी क्यों होती हैं?”
“ताकि जब तेज हवाओं के कारण रेत उड़े तो वो हमारी आँखों के अन्दर ना जा सके.” माँ मुस्कुराते हुए बोली.
बच्चा थोड़ी देर चुप रहा फिर बोला,” अच्छा तो ये कूबड़ फैट स्टोर करने के लिए है… लम्बे पैर रेगिस्तान में तेजी से बिना थके चलने के लिए हैं… पलकें रेत से बचाने के लिए हैं…लेकिन तब हम इस चिड़ियाघर में क्या कर रहे हैं?”
दोस्तों, यही सवाल हमें खुद से पूछना चाहिए. ईश्वर ने हर एक इंसान को unique बनाया है. हर व्यक्ति में इतना potential है कि वह कुछ बड़ा… कुछ महान कर सकता है. लेकिन ज्यादातर लोग चिड़ियाघर का ऊंट बन जाते हैं… अपने अन्दर मौजूद अपार काबिलियत का प्रयोग ही नहीं करते… बेजुबान जानवर तो मजबूर है… लेकिन एक इंसान होने के नाते हमें मजबूर नहीं मजबूत बनाना चाहिए और अपने अन्दर के टैलेंट को पहचान कर अपनी बेस्ट लाइफ जीने की हर कोशिश करनी चाहिए.
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